Skip to main content

Posts

Showing posts from 2012

Delhi Gang Rape

तुमने दरिंदगी को मर्दानगी का नाम तो दे दिया हरकतों से अपनी इंसानियत को शर्मसार कर दिया | नाखूनों से जो ज़ख्म तुने, जो रूह पर छोडे है , अपनी हैवानियत से तुने , कितनी माँओं के दिल तोड़े है || अभी तो जीवित है पर मरेगी हर दिन, जब तक वो जिन्दा होगी, तुम्हारी करतूतों और नामर्दी से आज भारत माँ भी शर्मिंदा होगी ||| ए मौत के सौदागर तुझे सजा जो भी मिले वो कम होगी , तुझ दरिंदे के मौत पर ही, खुशी से हमारी आँखें नम होगी ||||

The Straight Hair Experiment

बाल सीधे करने के लिए लाखों तरीके लोगों ने सुझाये , टेढ़े मेढे उलटे पुलटे , करके देखे हमने सारे   उपाए | मेहँदी में मिलाया दही, अंडों का भी सर पे लगाया घोल , बालों का हो गया सत्यानाश , सब तरीको की खुली पोल || माँ ने घिसा बादाम का तेल, बीवी ने सर पे इस्त्री फिराई , टूटते बिखरते मुरझाते मेरे बालों पे, जाने कैसी शामत आई ||| सब रास्ते अपनाए हमने ,तब जाके अपने यह है जाना , बालों को सीधा और मजबूत करने, सनसिल्क ही अपनाना ||||

Happy Birthday Muskan

तु दुनिया कि रीती रिवाजों से है कोसों दूर, तेरी निश्छल हँसी करती है जीने को मजबूर, ना जीत का गुमान है और ना ही हार का गम , ना जाने तुम कैसे करती हो शोलों को शबनम , तु खुशीयों की वजह ,तु जीने का है अरमान , तु है मेरी पहचान और तु ही मेरा अभिमान ! हस्ते मुस्काते तुम आँगन को महका देती हो , अपनी बातों से तुम स्वप्न लोक में ले जाती हो , मस्तियाँ - बतिया तुम्हारी सब दुखों को भुला देती है , मासूमियत तेरी कपटी दुनिया से लड़ने की हिम्मत देती हैं , तेरे अबूझे असुलझे सवालो से रहता हू में हरदम परेशान , तु बेटी है माँ है और दोस्त भी , तु ही है मेरी जान , खुशियाँ तुझे अपार मिले , “हैप्पी बर्थडे मुस्कान” !!!
इंसान बनना चाहता हूँ !!! मैं बेधड़क बेडर लहर बनकर समुंदर में तैरना चाहता हूँ;   मैं बारिश की बूँद बनकर पत्तों कि बाँहों में सोना चाहता हूँ ! मैं जीत के जश्न में छलकने वाली शराब बनना चाहता हूँ , जो तुम्हे जीत के लिए जागाये रखे वो ख्वाब बनना चाहता हूँ !! मैं भ्रष्टाचार ,गरीबी को मिटने वाला तूफ़ान बनना चाहता हूँ  , जहाँ हर दुःख दर्द मिट जाए वो दवाई कि दूकान बनना चाहता हूँ !!! मैं जात पात और दंगो से परे धर्मनिरपेक्ष देश बनाना चाहता हूँ , मैं धर्म के नाम पर लड़ने वालों के बीच प्रेम का सन्देश बनना चाहता हूँ !!!! यह सब मुश्किल है शायाद बस में अब मैं यही दुआ करना चाहता हूँ , और कुछ बनू ना बनू नेक काम करकर अच्छा इंसान बनना चाहता हूँ !!!!!

दंगे और हम - (Riots and India)

मैंने सहमे सहमे से सन्नाटे से पुछा , तू इतना शोर क्यों मचा रहा हैं,       घबराकर इशारे से ख़ामोशी ने कहा, वो देखो भाई भाई का खून बहा रहा हैं ! लहू से लाल हुए पथ पर चलकर , नफरतों की दीवारों को फांदकर , मैं हक्का बक्का अपने मोहल्ले में आया, मैंने कोने में पड़े कूडेदान में इंसानियत को पाया !! हस्ते खेलते आँगन अब कब्रिस्तान हो गए , जात पात और धरम के बीच इंसान खो गए , एकजुट हुए लड़ने महँगाई, गरीबी भ्रष्टाचार से पर अब दंगो के बीच वो हिंदू मुस्लमान हो गए !!! रुक जाओ मूर्खो, संभल जाओ और थोडा सा थम जाओ, थोडा सा सयंम , थोडा सा धैर्य  जीवन में अपनाओ , समझों नादानों तुम रोक सकते हो यह बर्बादी , ताकि जश्न ना मना पाए हमारे दुखों पे खादी !!!!

Mothers Day (Maa)--माँ

माँ सपनों के पंखों को देने वाली उड़ान हैं , माँ निश्छल,निस्वार्थ, और निर्भय मुस्कान हैं ! माँ में ओम् की पवित्रता, गायत्री मन्त्र की शक्ति है , माँ के क़दमों में जन्नत , माँ की सेवा हरी भक्ति हैं !! माँ राम है ,अल्लाह है ,माँ गीता और कुरान है माँ मंदीर मस्जिद , माँ बोलने वाला वाला भगवान है !!! माँ इस कड़वाहट से भरी दुनिया में मीठा पकवान हैं ; माँ दुःख हरने वाली देवी , माँ ही सर्व शक्तिमान हैं !!!! मैं तन मन ,सुख दुःख सबकुछ माँ तुझे अर्पित करता हूँ, यह कविता में मदर्स डे पर सब माताओं को समर्पित करता हूँ  !!!!!

सपने बिखर गये !!!!

शाम के ६ बजे थे और रात होने को थी   दिन थक चुका था और थकान सोने को थी , आसमान भर चुका था और बद्री रोने को थी , गंगा सबसे मिल चुकी थी और पाप ढोने को थी ! ऐसे माहौल में वो भी खुशी से   झूम रहा था , अपने पहली तनखावाह को बारबार होटो   से चूम रहा था , बीवी के लिए खरीदी लाल साड़ी को बार बार देख रहा था , खुशियो को लपेट कर गम को बाहर फेक रहा था !! अंजाने मनचलो , रईसो की   की गाड़ी से वो टकरा गया , बच्चे का खिलोना हाथ से छूटा और सपना चरमरा गया , उसके अरमान सड़कों पे बिखरे पड़े , और शरीर बन गया रेत , साथ छूट गया अपनो को और बीवी की साड़ी हो गयी थी श्वेत   !!!

लौट के आओ ….

गाँव के सुने घर इंतज़ार कर रहे है सुने सुनाये क़दमों की आहटो की, खिड़कियाँ दरवाज़े सब बात कर रहे है अपनी अपनी घबराहटो की !! चमकता चाँद आसमान में तन्हा है , आसमां में उसे ताकने कोई नहीं होता है , सपने न जाने कब से दर खटखटा रहे है , पर अब  इस घर में कोई नहीं सोता है !! कभी तो लौटकर आओ इस जमीं पर, इस मिट्टी के दिल में कितने घाव है , याद करती है हवाये इसकी तुमको , यह तो तुम्हारा ही गाव  है !!

चुनाव के दौर में

आम आदमी फिर से खुश है चुनाव के दौर में; भीग गया है वो वादों की बारिश के बौछार में ! आरक्षण और जात पात की राजनीति है माहिर है सब ; तरसते रहे जाओगे ;कब हुए हैं वादे पूरे, जो होंग अब !! लैपटॉप और मुफ्त बिजली के बजे है फिर से बिगुल ; इतिहास गवाह है की कभी नहीं खिले है रेगिस्तान में फुल !!! सोने वाले , जाग जा रे कही तेरे अपने न तुझसे बिछड जाए, तेरे इस बेख्याली से कही तेरा सपनों का शहर न उजड जाए !!!!

वो बचपन बहुत प्यारा था

ना Increment की फिकर, ना escalation का डर, ना ईमेलों पे सवाल , ना सवालों से बवाल , ना appraisal के लिए नाइट , ना promotion के लिए फाइट , ना थी laptop की तड़क-भड़क, ना थी वहाँ चापलूसी की सड़क, सच्चा मासूम प्यार तब बहुत सारा था वो बचपन बहुत ही प्यारा था !!!!! काम के Frustration का असर मुझमें भी आया है, बे-वजह हस्ते खेलते बच्चो को धमकाया है, ३० तारीख के इंतज़ार में पूरा महीना बिताया है , लोन ले लेके सपनों का आँगन बनाया है माँ के पराठे को छोडकर Pizza को अपनाया है , घर को धर्मशाला ,ऑफिस को घर बनाया है , तब रोने के लिए कंधो का सहारा था , वो बचपन बहुत ही प्यारा था !!!!!