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लौट के आओ ….


गाँव के सुने घर इंतज़ार कर रहे है
सुने सुनाये क़दमों की आहटो की,
खिड़कियाँ दरवाज़े सब बात कर रहे है
अपनी अपनी घबराहटो की !!

चमकता चाँद आसमान में तन्हा है ,
आसमां में उसे ताकने कोई नहीं होता है ,
सपने न जाने कब से दर खटखटा रहे है ,
पर अब  इस घर में कोई नहीं सोता है !!


कभी तो लौटकर आओ इस जमीं पर,
इस मिट्टी के दिल में कितने घाव है ,
याद करती है हवाये इसकी तुमको ,
यह तो तुम्हारा ही गाव  है !!

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