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Showing posts from June, 2012

दंगे और हम - (Riots and India)

मैंने सहमे सहमे से सन्नाटे से पुछा , तू इतना शोर क्यों मचा रहा हैं,       घबराकर इशारे से ख़ामोशी ने कहा, वो देखो भाई भाई का खून बहा रहा हैं ! लहू से लाल हुए पथ पर चलकर , नफरतों की दीवारों को फांदकर , मैं हक्का बक्का अपने मोहल्ले में आया, मैंने कोने में पड़े कूडेदान में इंसानियत को पाया !! हस्ते खेलते आँगन अब कब्रिस्तान हो गए , जात पात और धरम के बीच इंसान खो गए , एकजुट हुए लड़ने महँगाई, गरीबी भ्रष्टाचार से पर अब दंगो के बीच वो हिंदू मुस्लमान हो गए !!! रुक जाओ मूर्खो, संभल जाओ और थोडा सा थम जाओ, थोडा सा सयंम , थोडा सा धैर्य  जीवन में अपनाओ , समझों नादानों तुम रोक सकते हो यह बर्बादी , ताकि जश्न ना मना पाए हमारे दुखों पे खादी !!!!