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सपने बिखर गये !!!!

शाम के ६ बजे थे और रात होने को थी 
दिन थक चुका था और थकान सोने को थी,
आसमान भर चुका था और बद्री रोने को थी,
गंगा सबसे मिल चुकी थी और पाप ढोने को थी !

ऐसे माहौल में वो भी खुशी से  झूम रहा था,
अपने पहली तनखावाह को बारबार होटो  से चूम रहा था,
बीवी के लिए खरीदी लाल साड़ी को बार बार देख रहा था,
खुशियो को लपेट कर गम को बाहर फेक रहा था !!

अंजाने मनचलो, रईसो की  की गाड़ी से वो टकरा गया,
बच्चे का खिलोना हाथ से छूटा और सपना चरमरा गया,
उसके अरमान सड़कों पे बिखरे पड़े, और शरीर बन गया रेत,
साथ छूट गया अपनो को और बीवी की साड़ी हो गयी थी श्वेत
  !!!

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