Skip to main content

इंसान बनना चाहता हूँ !!!

मैं बेधड़क बेडर लहर बनकर समुंदर में तैरना चाहता हूँ;  

मैं बारिश की बूँद बनकर पत्तों कि बाँहों में सोना चाहता हूँ !


मैं जीत के जश्न में छलकने वाली शराब बनना चाहता हूँ ,
जो तुम्हे जीत के लिए जागाये रखे वो ख्वाब बनना चाहता हूँ !!

मैं भ्रष्टाचार ,गरीबी को मिटने वाला तूफ़ान बनना चाहता हूँ  ,
जहाँ हर दुःख दर्द मिट जाए वो दवाई कि दूकान बनना चाहता हूँ !!!

मैं जात पात और दंगो से परे धर्मनिरपेक्ष देश बनाना चाहता हूँ ,
मैं धर्म के नाम पर लड़ने वालों के बीच प्रेम का सन्देश बनना चाहता हूँ !!!!

यह सब मुश्किल है शायाद बस में अब मैं यही दुआ करना चाहता हूँ ,
और कुछ बनू ना बनू नेक काम करकर अच्छा इंसान बनना चाहता हूँ !!!!!

Comments

  1. बहुत सुन्दर.......
    आपकी हर चाहत पूरी हो...आमीन!!

    अनु

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

The Straight Hair Experiment

बाल सीधे करने के लिए लाखों तरीके लोगों ने सुझाये , टेढ़े मेढे उलटे पुलटे , करके देखे हमने सारे   उपाए | मेहँदी में मिलाया दही, अंडों का भी सर पे लगाया घोल , बालों का हो गया सत्यानाश , सब तरीको की खुली पोल || माँ ने घिसा बादाम का तेल, बीवी ने सर पे इस्त्री फिराई , टूटते बिखरते मुरझाते मेरे बालों पे, जाने कैसी शामत आई ||| सब रास्ते अपनाए हमने ,तब जाके अपने यह है जाना , बालों को सीधा और मजबूत करने, सनसिल्क ही अपनाना ||||

दंगे और हम - (Riots and India)

मैंने सहमे सहमे से सन्नाटे से पुछा , तू इतना शोर क्यों मचा रहा हैं,       घबराकर इशारे से ख़ामोशी ने कहा, वो देखो भाई भाई का खून बहा रहा हैं ! लहू से लाल हुए पथ पर चलकर , नफरतों की दीवारों को फांदकर , मैं हक्का बक्का अपने मोहल्ले में आया, मैंने कोने में पड़े कूडेदान में इंसानियत को पाया !! हस्ते खेलते आँगन अब कब्रिस्तान हो गए , जात पात और धरम के बीच इंसान खो गए , एकजुट हुए लड़ने महँगाई, गरीबी भ्रष्टाचार से पर अब दंगो के बीच वो हिंदू मुस्लमान हो गए !!! रुक जाओ मूर्खो, संभल जाओ और थोडा सा थम जाओ, थोडा सा सयंम , थोडा सा धैर्य  जीवन में अपनाओ , समझों नादानों तुम रोक सकते हो यह बर्बादी , ताकि जश्न ना मना पाए हमारे दुखों पे खादी !!!!

Delhi Gang Rape

तुमने दरिंदगी को मर्दानगी का नाम तो दे दिया हरकतों से अपनी इंसानियत को शर्मसार कर दिया | नाखूनों से जो ज़ख्म तुने, जो रूह पर छोडे है , अपनी हैवानियत से तुने , कितनी माँओं के दिल तोड़े है || अभी तो जीवित है पर मरेगी हर दिन, जब तक वो जिन्दा होगी, तुम्हारी करतूतों और नामर्दी से आज भारत माँ भी शर्मिंदा होगी ||| ए मौत के सौदागर तुझे सजा जो भी मिले वो कम होगी , तुझ दरिंदे के मौत पर ही, खुशी से हमारी आँखें नम होगी ||||