तुमने दरिंदगी को मर्दानगी का नाम तो दे दिया
हरकतों से अपनी इंसानियत को शर्मसार कर दिया |
नाखूनों से जो ज़ख्म तुने, जो रूह पर छोडे है ,
अपनी हैवानियत से तुने , कितनी माँओं के दिल तोड़े है ||
अभी तो जीवित है पर मरेगी हर दिन, जब तक वो जिन्दा होगी,
तुम्हारी करतूतों और नामर्दी से आज भारत माँ भी शर्मिंदा होगी |||
ए मौत के सौदागर तुझे सजा जो भी मिले वो कम होगी ,
तुझ दरिंदे के मौत पर ही, खुशी से हमारी आँखें नम होगी ||||
हरकतों से अपनी इंसानियत को शर्मसार कर दिया |
नाखूनों से जो ज़ख्म तुने, जो रूह पर छोडे है ,
अपनी हैवानियत से तुने , कितनी माँओं के दिल तोड़े है ||
अभी तो जीवित है पर मरेगी हर दिन, जब तक वो जिन्दा होगी,
तुम्हारी करतूतों और नामर्दी से आज भारत माँ भी शर्मिंदा होगी |||
ए मौत के सौदागर तुझे सजा जो भी मिले वो कम होगी ,
तुझ दरिंदे के मौत पर ही, खुशी से हमारी आँखें नम होगी ||||
good poem
ReplyDeleteits time for do some...
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