शाम के ६ बजे थे और रात होने को थी दिन थक चुका था और थकान सोने को थी , आसमान भर चुका था और बद्री रोने को थी , गंगा सबसे मिल चुकी थी और पाप ढोने को थी ! ऐसे माहौल में वो भी खुशी से झूम रहा था , अपने पहली तनखावाह को बारबार होटो से चूम रहा था , बीवी के लिए खरीदी लाल साड़ी को बार बार देख रहा था , खुशियो को लपेट कर गम को बाहर फेक रहा था !! अंजाने मनचलो , रईसो की की गाड़ी से वो टकरा गया , बच्चे का खिलोना हाथ से छूटा और सपना चरमरा गया , उसके अरमान सड़कों पे बिखरे पड़े , और शरीर बन गया रेत , साथ छूट गया अपनो को और बीवी की साड़ी हो गयी थी श्वेत !!!
My poems are for everyone who understands basic hindi. I never use words which are difficult to understand. I use the words that are used are in day to day conversation and make it a point that while writing them I use them and make an impact.