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Showing posts from 2013

दर्द का कब्ज़ा

दिल में हो गया है दर्द का कब्ज़ा बहुत देर तलक हम सोते नहीं अफ़सोस हमें भी है गमे जिंदगी पर हम यूँ फूटफूटकर रोते नहीं ! मंजिल मिली नहीं हमें पर गलत राहों में हम कभी खोते नहीं आये मुसीबत हमारे यार पर और उड़ जाए ऐसे हम तोते नहीं ! चर्चे नदारद है महिफलों में, फिर भी नेक कामों में हम होते है खबर चाहे नहीं अख़बारों में पर लोगों की दुओं में हम होते है ! जानते है हम की राह है मुश्किल है पर यूँ ही कहाँ हम हताश होते है जिसमे जूनून और जज्बा नहीं वही लोग अक्सर जिंदगी से निराश होते है !

मैं भारत की बेटी हूँ

बिक रही हूँ किसी बाजार में , टूट रही हूँ किसी के अत्याचार में , निर्भया गुडिया बन छप रही हूँ , रोज किसी अखबार में | कभी सती औए कभी देहज के नाम मुझे लोगोंने जलाया है , महाभारत और रामायण होने की जड़ भी मुझे बताया   है || अपने अपनों और सपनों के आँगन छोड कर नया घर बनाती हूँ, सब त्यागकर भी मैं कुलक्षणी कुलटा के नामो से नवाजी जाती हूँ ||| कभी देवी, कभी डायन और कभी पारवती और सीता बनाया मैंने भी बेटी बहू बहन माँ बन हर रिश्ते को है निभाया |||| हर घडी जीना है मुश्किल , हर पल मौत की शया पर लेटी हूँ हर मुश्किल से लड़ती डटकर में , मैं भारत की बेटी हूँ !!!!!
                  ||||||| जिंदगी की कहानी ||||||          सुलझाओगे जितनी जिंदगी को उतना उलझ तुम जाओगे हर बात के लिए कोसोगे उसको तो कैसे जी तुम पाओगे | नमकीन मीठा शरबत का प्याला समझके इसे पी लो , जब तक है जिंदगी खुशी खुशी इसके रंग में रंगके जी लो | | क्यों दबाते है दिल में गम अच्छी नहीं यह बेज़ुबानी है , हर मौसम का तु लुत्फ़ उठा यह तो जिंदगानी है ||| क्यों खोता है हौसला तु  , क्यों है हार से घबराना , गमों की बारिश में ही तो छुपा है खुशियों का खजाना |||| कायरता है आत्महत्या ;  यह नासमझी पागलपण का नमूना है कभी किसी परिंदे या जानवर को यह करते हुए सुना है |||||