बिक रही हूँ किसी बाजार में , टूट रही हूँ किसी के अत्याचार में , निर्भया गुडिया बन छप रही हूँ , रोज किसी अखबार में | कभी सती औए कभी देहज के नाम मुझे लोगोंने जलाया है , महाभारत और रामायण होने की जड़ भी मुझे बताया है || अपने अपनों और सपनों के आँगन छोड कर नया घर बनाती हूँ, सब त्यागकर भी मैं कुलक्षणी कुलटा के नामो से नवाजी जाती हूँ ||| कभी देवी, कभी डायन और कभी पारवती और सीता बनाया मैंने भी बेटी बहू बहन माँ बन हर रिश्ते को है निभाया |||| हर घडी जीना है मुश्किल , हर पल मौत की शया पर लेटी हूँ हर मुश्किल से लड़ती डटकर में , मैं भारत की बेटी हूँ !!!!!
My poems are for everyone who understands basic hindi. I never use words which are difficult to understand. I use the words that are used are in day to day conversation and make it a point that while writing them I use them and make an impact.